
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) Car loan emi calculator ;कार लोन ईएमआई कैलकुलेटर: बढ़ते रेपो रेट का असर द्वारा रेपो रेट में वृद्धि का असर उन सभी लोगों पर पड़ेगा, जिन्होंने होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन ले रखा है। यह खबर कार लोन पर निर्भर ग्राहकों के लिए चिंताजनक हो सकती है, क्योंकि इससे उनकी मासिक ईएमआई (EMI) में वृद्धि होना तय है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति (Monetary Policy) के तहत रेपो रेट में 0.25% की वृद्धि की गई है, जिससे यह अब 6.50% पर पहुंच गया है। पहले यह दर 6.25% थी। मई 2022 से अब तक छठी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की गई है, और कुल मिलाकर इसमें 2.50% की वृद्धि हो चुकी है। इस बदलाव का सीधा असर सभी प्रकार के लोन की ईएमआई पर पड़ेगा, जिसमें कार लोन भी शामिल है।
ईएमआई में वृद्धि का गणित
Car loan emi calculator ;कार लोन ईएमआई कैलकुलेटर: बढ़ते रेपो रेट का असरयदि आपने कार खरीदने के लिए लोन लिया है, तो रेपो रेट में वृद्धि के कारण आपको हर महीने अपनी ईएमआई में अधिक भुगतान करना पड़ेगा। आइए समझते हैं कि यह बढ़ोतरी कैसे आपके मासिक खर्च को प्रभावित कर सकती है।
मान लें, आपने 5 लाख रुपये का लोन लिया है, जिसे पांच साल में चुकाना है। अगर बैंक ने आरबीआई की रेपो रेट वृद्धि के बराबर ब्याज दर में बढ़ोतरी की है, तो आपकी ईएमआई पर कितना असर पड़ेगा? उदाहरण के तौर पर, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) नई कार लोन पर वर्तमान में 8.55% की शुरुआती ब्याज दर पर लोन देता है। यदि इसमें 0.25% की वृद्धि होती है, तो यह दर 8.80% हो जाएगी।
अब, 8.55% ब्याज दर पर 5 लाख रुपये के लोन की मासिक ईएमआई 10,270 रुपये होगी। लेकिन 8.80% ब्याज दर लागू होने पर यह बढ़कर 10,331 रुपये हो जाएगी। यानी, आपको हर महीने 61 रुपये अधिक चुकाने होंगे।
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फ्लोटिंग रेट और फिक्स्ड रेट में अंतर
यह समझना जरूरी है कि बैंक दो प्रकार के लोन देते हैं:
- फिक्स्ड रेट लोन: इसमें ब्याज दर फिक्स रहती है, और आरबीआई द्वारा रेपो रेट में बदलाव का कोई असर नहीं पड़ता।
- फ्लोटिंग रेट लोन: यह रेपो रेट में होने वाले बदलाव के साथ बदलता है।
यदि आपने फ्लोटिंग रेट पर कार लोन लिया है, तो रेपो रेट बढ़ने के कारण आपकी ईएमआई बढ़ सकती है। दूसरी ओर, यदि आपका लोन फिक्स्ड रेट पर है, तो इस वृद्धि का आप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
ईएमआई वृद्धि के कारण और संभावित उपाय
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई अन्य बैंकों को लोन देता है। जब रेपो रेट बढ़ता है, तो बैंक भी अपनी ब्याज दरें बढ़ा देते हैं, जिससे लोन पर ब्याज दर में वृद्धि होती है।
यदि आपकी ईएमआई बढ़ रही है, तो इसे कम करने के लिए आप निम्न उपाय अपना सकते हैं:
- लोन का कार्यकाल बढ़ाना: आप बैंक से अपने लोन की अवधि बढ़ाने का अनुरोध कर सकते हैं। इससे आपकी मासिक ईएमआई कम हो सकती है, लेकिन कुल ब्याज भुगतान बढ़ जाएगा।
- अग्रिम भुगतान (Prepayment): यदि संभव हो, तो आप लोन की कुछ राशि एकमुश्त चुका सकते हैं, जिससे आपके शेष लोन और ब्याज में कमी आएगी।
- ब्याज दर की तुलना: अलग-अलग बैंकों में ब्याज दरों की तुलना करें। यदि कोई बैंक कम दर पर लोन दे रहा है, तो आप बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प चुन सकते हैं।
रेपो रेट वृद्धि के प्रभाव
रेपो रेट वृद्धि का असर केवल कार लोन तक सीमित नहीं है। होम लोन और पर्सनल लोन लेने वाले ग्राहकों की ईएमआई भी बढ़ेगी। यह उन लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जिनका मासिक बजट पहले से ही तंग है।
मौजूदा आर्थिक स्थिति और महंगाई को नियंत्रित करने के लिए आरबीआई रेपो रेट में वृद्धि करता है। हालांकि, इसका असर लोन लेने वाले ग्राहकों की जेब पर पड़ता है।
निष्कर्ष
रेपो रेट में वृद्धि का सीधा मतलब है कि आपकी ईएमआई में बढ़ोतरी होगी, खासकर यदि आपने फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है। ऐसे में, वित्तीय योजना बनाते समय इन अतिरिक्त खर्चों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है।
यदि आपने फिक्स्ड रेट पर लोन लिया है, तो आप राहत महसूस कर सकते हैं। लेकिन फ्लोटिंग रेट वाले ग्राहकों को अपनी ईएमआई की पुनर्गणना कर लेनी चाहिए। साथ ही, बेहतर वित्तीय निर्णय लेने के लिए अपने बैंक से सलाह लें और उपलब्ध विकल्पों का अध्ययन करें।
इस प्रकार, रेपो रेट में हर बदलाव आपकी वित्तीय स्थिति को प्रभावित कर सकता है, और इसके अनुरूप अपने बजट में बदलाव करना आवश्यक हो जाता है।